मोबाइल फोन क्या है? मोबाइल की पूरी जानकारी हिंदी में

मोबाइल फोन क्या है? मोबाइल की पूरी जानकारी हिंदी में मोबाइल…ये नाम सुनते ही आपके ज़हन में कई सारे फोन की पिक्चर्स आती होंगी। ये एक ऐसा गैजेट है जो आज हमारी ज़रूरतों की लिस्ट में शामिल हो चुका है। मोबाइल हमारा एक ऐसा पार्टनर है जो 24 घंटे हमारे साथ रहता है। मोबाइल हमारा एक ऐसा सीक्रेट दोस्त है जिसको हमारी ज़िदंगी से जुड़े सभी राज़ पता होते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि ये मोबाइल फोने क्या है, क्या होता है, इसका इतिहास क्या है?
शायद नहीं, हममें से 50 फीसदी लोग भी मोबाइल की कहानी, इसकी वर्किंग के बारे में नहीं जानते होंगे। तो अगर आप भी उन्हीं 50 फीसदी लोगों में शामिल हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है यहाँ आपको Mobile kya hai, mobile ka aviskar kisne kiya, mobile kisne banaya, mobile phone ki khoj kisne ki, mobile ke fayde aur nuksan इत्यादि सबकी जानकारी मिलेगी। यहाँ हम आपको मोबाइल के बारे में डिटेल्ड जानकारी देंगे। (Detailed information of mobile phone in Hindi) मोबाइल के जन्म से लेकर इसे स्मार्ट बनने तक की कहानी पर गौर करने से पहले जानते हैं कि मोबाइल फोन क्या है, Mobile phone kya hota hai? यहाँ आपको Mobile kya hai, mobile ka aviskar kisne kiya, mobile kisne banaya, mobile phone ki khoj kisne ki, mobile ke fayde aur nuksan इत्यादि सबकी जानकारी मिलेगी। मोबाइल फोन क्या है? (What is Mobile in Hindi) मोबाइल एक पोर्टेबल टेलीफोन है जो एक रेडियो फ्रीक्वेंसी लिंक पर कॉल कर सकता है और प्राप्त कर सकता है, इसे सेल्युलर फोन, सेल फोन, सेलफोन या हैंड फोन भी कहते है। मोबाइल (MOBILE) यानि टू मूव (TO MOVE) यानि कोई एक ऐसी चीज़ जिसे मूव कराया जा सकें। यानि मोबाइल फोन एक ऐसा वायरलेस डिवाइस है जिसको एक जगह से दूसरी जगह पर मूव कराया जा सके। मोबाइल फोन समय के साथ साथ स्मार्टफोन में तब्दील होते चले गए और अब इन फोन के ज़रिए आप न सिर्फ कॉल मेक या रिसीव कर सकते हैं बल्कि छोटे से डिवाइस के ज़रिए आप अपने सारे काम निपटा सकते हैं। तो चलिए अब जानते हैं कि मोबाइल फोन के जन्म की कहानी। मोबाइल फ़ोन का इतिहास (History of mobile phone in Hindi) दोस्तों, आपने उस दौर के बारे में ज़रूर सुना होगा जब कबूतर के ज़रिए संदेश भिजवाए जाते थे। इसके बाद कबूतर की जगह डाकिए ने ले ली जो हमारे मैसेज को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता था। इस पूरी प्रक्रिया में बहुत वक्त लग जाता था। साथ में इस तरह संदेश भिजवाने के कई disadvantages भी थे। बस, यही से मोबाइल फोन बनाने का आइडिया इज़ात हुआ था। अब डाकिए की जगह टेलिफोन (जिन्हें हम लैंडलाइन कहते थे) ने ले ली। टेलिफोन वायरलेस (telephone wireless) नहीं था। इसमें वायर के ज़रिए ही यूज़र्स एक दूसरे से बात कर पाते थे। समय के साथ टेलिफोन का भी चलन कम हो गया और उनकी जगह मार्केट में आए मोबाइल फोन ने ले ली, जो कि वायरलेस टेक्नोलॉजी पर आधारित थे। अब ये मोबाइल फ़ोन इतने advance हो गए है कि कंप्यूटर के अधिकतर काम ये मोबाइल कर सकता है है, इसीलिए अब इसे मोबाइल कम smartphone ज्यादा कहा जाने लगा है। आगे जानेंगे कि मोबाइल का आविष्कार (invention) किसने किया। दुनिया का पहला मोबाइल (World’s first Mobile phone) अमेरिका के इंजीनियर मार्टिन कूपर (Martin Cooper) ने दुनिया के पहले मोबाइल फोन को बनाया था। पहला मोबाइल 3 अप्रैल 1973 को बनाया गया था। ये फोन मोटोरोला (‘Motorola’) कंपनी का था। दरअसल, मार्टिन ने मोटोरोला कंपनी को साल 1970 में ज्वॉइन किया था। जिसके बाद से ही वो पूरी दुनिया में वायरलेस फोन क्रांति लाना चाहते थे। उसी का नतीजा का पहले मोबाइल फोन का आविष्कार किया गया। कैसा दिखता था दुनिया का पहला मोबाइल फोन? इस फोन का वज़न 2 किलोग्राम था। इस फोन को एक बार चार्ज करने पर 30 मिनट तक ही बात की जा सकती थी। दोबारा चार्ज करने में 10 घंटे का वक्त लगता था। हैरानी की बात ये है कि इस फोन की कीमत उस वक्त 2700 डॉलर यानि 2 लाख रूपए के आसपास थी। इस फोन को 0G यानि जीरो जेनरेशन का नाम दिया गया। पहले फोन के करीब 10 साल बाद यानि साल 1983 में मोटोरोला का पहला फोन मार्केट में आया जिसका नाम Motorola DynaTAC 8000X था। इसकी खासियत थी कि इसमें 30 मोबाइल नंबर्स को सेव किया जा सकता था। इसकी कीमत अमेरिकी डॉलर ( 2,95,669 रूपए) रखी गई थी। भारत में पहली बार फोन कब आया (First Mobile Phone in India) मोटोरोला का फोन DynaTAC 8000X को भारत में पहली बार 31 जुलाई, 1995 में लाया गया था। इस मोबाइल फोन के आने के बाद साल 1997 में भारत में दूरसंचार सेवाओं के लिए ट्राई यानि Telecom Regulatory Authority of India की स्थापना की गई थी। आपको बता दें कि भारत में मोबाइल फोन लाने के प्रयास साल 1994 में ही शुरू हो गए थे और मोबाइल सेवा देने वाली भारत की पहली कंपनी मोदी टेल्स्ट्रा (Modi Telstra) थी। ये कंपनी भारत के उद्यमी भूपेन्द्र कुमार मोदी की थी। उन्होंने इस सर्विस का नाम मोबाइलनेट रखा था। मोटोरोला के अलावा भारत में नोकिया फोन के ज़रिए लोगों तक मोबाइल सर्विस प्रोवाइड कराने की कोशिश की गई थी। मोदी टेल्स्ट्रा बाद में स्पाइस टेलिकॉम बन गई। भारत की पहली कॉल (First phone call of India) ये जानना बेहद दिलचस्प होगा कि भारत में पहली बार मोबाइल के ज़रिए किसने और कब कॉल की। बता दें कि 31 जुलाई 1995 को नोकिया हैंडसेट (2110) के ज़रिए भारत में पहली बार मोबाइल कॉल हुई थी। ये कॉल पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने कोलकाता में पहली बार मोबाइलनेट सर्विस के ज़रिए कॉल की थी। ज्योति बसु नोकिया के जरिए ये कॉल उस वक्त के केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को की थी। इनकमिंग के पैसे लगते थे? आजकल हम सिर्फ आउटगोइंग के लिए ही पेमेंट करते हैं। लेकिन उस ज़माने में इनकमिंग कॉल के लिए भी पैसे देने होते थे। शुरुआत में पहला टैरिफ 16 रुपए प्रति मिनट हुआ करता था। साल 2000 तक मोबाइल इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स की संख्या 10 लाख थी। साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब 1 अरब 5 करोड़ मोबाइल फोन यूज़र्स हैं। मोबाइल फोन कैसे काम करते हैं? मोबाइल फोन के जन्म की कहानी के बाद चलिए जानते हैं कि ये फोन कैसे काम करते हैं। दरअसल, वायरलेस टेक्नोलॉजी में सारा काम सिगन्लस का होता है, यानि बिना वायर के सिगनल्स के ज़रिए यूज़र्स एक दूसरे से बात कर पाते हैं। चलिए डिटेल में ये पूरा प्रोसेस समझते हैं। एक तरीके से देखा जाए तो मोबाइल फोन टू-वे रेडियो है। इसमें एक ट्रांसमीटर होता है और दूसरा रिसीवर। जब किसी को कॉल करते हैं तो फोन के माइक्रोफोन के ज़रिए आपकी साउंड electrical signal में कंवर्ट होती है उसके बाद ये radio waves में तब्दील हो जाती है। मोबाइल फोन में लगे antenna के ज़रिए ये waves पास के सेल टावर तक पहुंचती है। अब ये cell tower अपने नेटवर्क के ज़रिए रिसीवर यूज़र के सेल फोन तक radio waves को भेजता है। ये waves फिर से electric signal में convert होती है और फिर sound बनती है। मोबाइलफोन से स्मार्टफोन बनने का सफर आप सभी देखते हैं कि आजकल मोबाइल फोन का भी चलन कम हो गया है और स्मार्टफोन ट्रेंड में आ गए है। अब हर किसी के हाथ में आपको स्मार्टफोन दिख जाएगा। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी एडवांस होती गई हमारे मोबाइल फोन को भी एडवांस बना दिया गया। पुरानी जेनरेशन के फोन में केवल कॉल सेंड और रिसीव की जा सकती थी। इसके कुछ समय बाद ही Global System for Mobile Communication (GSM) का इज़ाद हुआ। जिस फोन में ये टेक्नोलॉजी होती थी उस फोन के ज़रिए कॉल के साथ साथ टेक्स्ट मैसेज भी किए जा सकते थे। जैसे-जैसे वक़्त गुजरता गया फोन का साइज़ और वेट कम होने लगा और इसके फीचर्स (mobile features) बढ़ते गए। इन फीचर्स में MMS सबसे ज्यादा पॉपुलर हुआ था।

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